रमजान इबादत का महीना है. इस मुबारक महीने में अल्लाह के बन्दे अपने रब का इनाम पाने के लिए नफिल इबादत करते है. ११ महीने मस्जिद से दूर रहने वाले, बड़े से बड़ा गुनाहगार भी अल्लाह की रहमत पर यकीन रखता होवा अल्लाह के घर में अपने सजदों के नज़राने पेश करता है, यही वज़ह है की हमारी छोटी बड़ी सभी मस्जिदे आबाद हो जाती हैं और बड़े ही शौख से लोग तरावीह में सहरिक होते है मस्जिद में खश तरावीह में शरीक खोते है, मस्जिदो में खश तौर पर क़ुरान शरीफ सुनने और सुनाने का आयेहतमं किया जाता है,
इन सारी बातोके अलावा अल्लाह के कुछ नेक बन्दे और भी नफिल इबादतें कर के अपने रब की रहमते, बरकते हासिल करने की कोशिश करते है.
अगर अल्लाह तौफीक दे तो हम भी हर रात २ रकत नफिल पड़ने की कोशिश करे. रमजान की नफिल इबादतें
हर रकअत में सूरे फतेह के बाद ३ बार कुल्हुवल्लाह सहरीफ़ पढ़े. इसकी बरकत से अल्लाह के फ़रिश्ते पड़ने वाले की नेकियों की हिफाज़त फरमाएंगे, गुनाहो से बचाते रहेंगे और अल्लाह पाक जन्नत में उसका मर्तबा बुलंद फरमाएगा.
हदीस शरीफ और बुज़ुर्गु के मालूमात में और बहुत सी नमाज़ है जो हम जैसे लोग के लिए बहुत भरी है हाँ, ये २ रकते तो पढ़ी जा सकते है. अल्लाह पाक हमें तौफीक दे. अमीन!!
सबे क़दर मगफिरत की रात है, इसलिए अपने और अपने वालिदैन के लिए ज़रूर दुआए मगफिरत करे.
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